( तर्ज - हरिका नाम सुमर नर प्यारे ० )
बेधर्मी और गंदे जनसे ,
काम पडा है लडने का ।
जिसने भाई - भाई कहकर ,
भारतपर लादा धोखा ॥टेक ॥
भारतसे ही ज्ञान सिखा
और गुरुके सिरपर वार किया ।
सहा न जायेगा भारत को ,
गुलाम बनना दुसरों का ॥ १ ॥
भारत के आजादी की हम ,
पूरी कीमत चुका गये ।
जो कोई हकको बतलायेगा ,
बदला लेंगे हम उनका ॥ २ ॥
भारत की सारी जनता और
पंथ - पक्ष सब एक हुए ।
हिम - गिरिसे साधू - जन निकले ,
मुकाबला करने ' चीन ' का ॥ ३ ॥
शूर लडेगा हथियारों से ,
किसान नाज उगायेगा |
साधू जागृत कर जनता को
दूर करेगा यह धोखा ॥ ४ ॥
तुकडयादास कहे हम आये ,
बिहार और आसाम भूमि ।
जन - जन में खूब जोश बढाकर ,
नाश करेंगे शत्रू का ॥ ५ ॥
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